Atomic Habits book summary in hindi: छोटे कदम, बड़े बदलाव!

 

Introduction

हेलो! आज हम जेम्स क्लेयर की पुस्तक “Atomic Habits” पर बात करेंगे। यह पुस्तक एक ऐसे दोस्त की तरह है जो वैज्ञानिक ज्ञान और शक्तिशाली तरीकों के साथ आपकी मदद करेगा। इसमें आप नई सकारात्मक आदतें बना सकते हैं या पुरानी बुरी आदतों को छोड़ सकते हैं। 🚀

हम देखेंगे कि छोटे कदम और नियमित प्रयास कैसे बड़े परिणामों को जन्म देते हैं। और यह भी सोचेंगे कि कभी-कभी हम अपनी आदतों को बीच में ही छोड़ देते हैं, जबकि हम अच्छे इरादों से शुरू करते हैं। 🤔

लेकिन रुको, यहाँ और भी कुछ है! हम सिखेंगे कि कैसे हम अपनी आदतों को बनाए रख सकते हैं, नई आदतें कैसे अपना सकते हैं (या पुरानी आदतों को कैसे छोड़ सकते हैं), और अपनी पहचान को ऐसे बदल सकते हैं कि वो हमारे चाहिए गए व्यवहार के साथ मेल खाए। यह लेख बस एक पाठकीय अनुभव नहीं होगा; यह आपके दैनिक जीवन में इन विचारों को लागू करने के लिए आपका प्रैक्टिकल गाइड बनेगा। मेरी बात मानो, “Atomic Habits” है हैबिट बनाने की सुपरहीरो किताब! 💪


Compounding Effects of Habits

ज्यादातर लोगों को लगता है कि कुछ बड़ा achieve करने के लिए हमें रोज बड़े steps लेने की ज़रूत होती है लेकिन अगर इसे bigger picture में देखा जाए तो ये कहना गलत होगा क्योंकि according to James Clear compounding effect सिर्फ financial investments में ही काम नहीं आता बलकि हमारी daily life और habits में भी apply होता है.

अब compounding दोनों ही मामलों में लागू होता है, चाहे आप अच्छे या बुरे आदतों को लंबे समय तक पालन कर रहे हों. जेम्स कहता है कि अगर आप self improvement को follow कर रहे हो और प्रभावी आदतों को बनाना चाहते हैं तो आपको हर दिन सिर्फ 1% ही सुधार करना होगा, तो आप 37 बार वृद्धि और विकसित हो जाएंगे. आपको सिर्फ दैनिक small steps पर ध्यान देना होगा.

क्योंकि positive results product हैं उन small improvements का जो आप रोज करते हैं, तभी आदतें अपने आप को बेहतर बनाने में दोगुना दिलचस्पी रखती हैं. यदि हम अपनी आदतों को हर दिन देखते हैं तो उनके प्रभाव ना के बराबर दिखाई देते हैं, लेकिन थोड़े बड़े vision से देखें तो ये आदतें कुछ हफ्तों, महीनों या सालों में अपना प्रभाव दिखाती हैं.

Plateau of Latent Potential

आजकल हमारे लिए अपनी आदतों को निरंतर बनाए रखना कठिन हो गया है, क्योंकि हमारा मस्तिष्क तुरंत मिलने वाली खुशी (instant gratification), ज्ञान, सामग्री, और एक क्लिक में सब कुछ प्राप्त करने की प्रवृत्ति के कारण, तुरंत मिलने वाली खुशी और परिणामों के लिए तत्पर हो गया है। यदि हम धीरज वाली सोच और आदतों को अपना लेते हैं, तो हम James Clear के ‘latent potential plateau’ को ठीक से समझ पाएंगे।

प्रगति का पथ हमें बहुत ही सरल और linear लगता है, लेकिन वास्तव में यह पथ लंबा, वक्रीय और अपेक्षा से बहुत भिन्न होता है। James का कहना है कि आदतें तब तक कोई स्पष्ट परिणाम नहीं देतीं जब तक हम एक सीमा को पार नहीं करते, और यह बहुत लंबे समय तक लगता है, और कभी-कभी हम अपने काम, लक्ष्य या आदत को मध्य में ही छोड़ देते हैं। यदि कोई परिणाम नहीं मिलता है, तो अगर आप वास्तव में मजबूत आदतों का पालन करना चाहते हैं, तो आपको निराशाजनक पथ को भी सोचना होगा।

इसका मतलब है कि आपको पहले से ही निराशाओं और असफलताओं के लिए तैयार रहना होगा और तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक आप ‘latent potential plateau’ को पार नहीं कर देते।


Habit Cycle

सुबह की चाय का craving वो काम को करने या habit के लिए motivational force प्रोवाइड करती है जैसे चाय के बाद energy और चाय की खुश्बू आपकी craving है. Response वो habits और actions हैं जो हम करते हैं आपका चाय बनाना या बनवाना हुआ response और feeling awake, energy और चाय पीना हुआ आपका reward.

पहले के दो steps cue और craving problem based होती हैं और आखर के दो steps response and reward solution based phase हैं. ये habit cycle आपकी good और bad habits दोनों पे apply होती हैं और James कहते हैं कि four laws of behavior change इसी cycle से influence होके निकलते हैं, आईए ठीक से समझते हैं.

अगर आपको किताब पढ़ने की आदत डालनी है, तो आप सोने से पहले अपने बिस्तर के बगल में एक किताब रख सकते हैं। इससे जब आप रात में सोने जाएंगे, तो आपको बिस्तर के पास किताब दिखाई देगी और आप आराम से बिस्तर पर लेटकर किताब पढ़ना शुरू कर देंगे। यह बहुत आसान होगा, बजाय इसके कि आप अलमारी से किताब निकालें या डेक पर बैठकर पढ़ें। हर दिन एक अध्याय पूरा करने से आपको संतुष्टि मिलेगी। और यदि आपको कोई आदत तोड़नी है, तो आपको बस इन कानूनों को उल्टा करना होगा।

Build a System

जेम्स की राय है कि हमें लक्ष्यों के बजाय अपने दैनिक कार्यक्रम और प्रणालियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए; यदि हमारे दैनिक कार्य निडर और प्रगतिशील होते हैं, तो हम दीर्घकालिक रूप से वह बन सकते हैं जो हम चाहते हैं.


सिर्फ लक्ष्य तय करने से कुछ नहीं होता है, हारने और जीतने वाले लोगों ने भी लक्ष्य तय किए होते हैं, लेकिन हमें लक्ष्यों के बजाय अपने दैनिक दिनचर्या और प्रणालियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। लक्ष्य वह होते हैं जो हम चाहते हैं, और प्रक्रियाएं वह होती हैं जो हमें उन परिणामों और सफलताओं तक पहुंचाती हैं।


For example, हर sport का goal अच्छे scores होता है लेकिन अगर आपका ध्यान पूरे वक्त सिर्फ और सिर्फ score board पे होगा तो आपका focus खेलने पे नहीं बलकि कुछ numbers पे होगा और आप process को enjoy नहीं कर पाएंगे वही अगर आप खेलने के system पे ज़्यादा focus करोगे और enjoy करोगे तो अपनी उम्मीद से ज़्यादा भी runs score कर सकते हैं तो अगर आप सिर्फ और सिर्फ goal पे ही focus कर रहे हैं.

For example, आपका weight lose करना या कुछ achieve करना एक outcome होता है जो की goals के level पे operate किया जाता है और second layer होती है process यानि के आपका daily gym जाना healthy खाना और रोज actions लेना अपनी habits को follow करना वही third और deepest layer होती है, अपनी identity को change करना.


यानि के अगर आप अपने आपको fit समझने लगते हैं या आपको इस बात में deeply believe और confidence है कि आप जो चाते वो आप deserve करते हो और आप उसी चीज के लिए बने हो. तो आपका behavior, habits और results आपके उस belief को follow करेंगे हमारे beliefs को change कर देना हमारी identity को change कर देता है.

Conclusion

तो आपका goal सिर्फ एक book पढ़ना नहीं बल्कि एक reader बनना होना चाहिए आपका goal सिर्फ exams के लिए कुछ दिन पढ़ना नहीं बल्कि एक अच्छा student बनना होना चाहिए आपका goal सिर्फ millions कमाना नहीं बल्कि एक अच्छा business man होना चाहिए आपका goal सिर्फ fit होना नहीं बल्कि एक disciplined person बनना होना चाहिए.
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